Tuesday, January 25, 2011

WEB SITE VASTU


वेबसाइट के फ्रंट पेज का हिस्सा उत्तर, निचला  दक्षिण, दाई
ओर पूर्व तथा बाई ओर पश्चिम माना जाता है।


वेबसाइट के 'फ्रंट पेज' की तुलना भवन के मुखय द्वार या साइन बोर्ड से की जाती है। अतः यह इतना दमदार होना चाहिए कि लोग इसे अवश्य देखें। वेबसाइट के 'ले-आउट' का संबंध भूमि तत्व से है। अतः फ्रंट पेज आयताकार होना चाहिए तथा इसकी लंबाई, चौडाई के दोगुने से अधिक नहीं होना चाहिए। वेबसाइट की विषयवस्तु का संबंध जल तत्व से तथा उसके रंगा  का संबंध अग्नि तत्व से होता है। अतः विषयवस्तु प्रवाह में होना चाहिए। 'यूआरएल' या 'डोमेन नेम' का संबंध आकाश तत्व से तथा वेब डिजाइन में प्रयुक्त होने वाली तकनीकों जैसे -'एचटीएमएल' या 'एएसपी' का संबंध वायु तत्व से है। वेबसाइट के फ्रंट पेज का ऊपरी हिस्सा उत्तर, निचला दक्षिण दाई ओर पूर्व तथा बाई ओर पश्चिम माना जाता है। इसके उत्तर - पूर्वी कोने पर हलकी - फुलकी सामग्री डालें तथा इसे ऊर्जावान करने के लिए छोटे 'एनीमेशंस' का उपयोग करें। फ्रंट पेज के दक्षिण - पश्चिम कोने को भारी रखें। 


इसके लिए बडे व स्थिर चित्रों का प्रयोग किया जा सकता है। दक्षिण - पूर्वी कोने में चटक रंगो का प्रयोग करें व कंपनी का 'लोगो' उत्तर -  पश्चिम  कोने में लगाएं। 'लोगो' की आकृति व रंग व्यवसाय के अनुरुप होना चाहिए। उत्तर में विज्ञापनों के 'एनीमेशंस' व दक्षिण में कंपनी का नाम, पता आदि डालें।  पश्चिम  में विभिन्न पेजों के लिंक व पूर्व में छोटे विज्ञापन लगाएं। केंन्द्रीय भाग में हलकी पाठ्‌य वस्तु या छोटे - छोटे 'एनीमेशंस' का प्रयोग करें। वेबसाइट का निर्माण करते वक्त यह ध्यान रखें कि कोई नुकीली डिजाइन, कंपनी के नाम आदि को निशाना न बना रहा हो। 


अलग - अलग व्यवसायों के लिए वेबसाइट बनाते वक्त कंपनी के 'लोगो' के आकार व विषयवस्तु के रंगों का चुनाव वास्तुशास्त्र के नियमों के अनुरुप ही करें। भवन निमार्ण, रीयल इस्टेट, आर्किटेक्चर आदि के लिए पीले, भूरे व लाल रंगो का प्रयोग करें। इनका 'लोगो' वर्गाकार या त्रिभुजाकार रखें। बैकिंग, बीमा, ट्रेडिंग,    शा  पिंग, पर्यटन आदि के लिये काले व नीले रंगो का प्रयोग करें। रेस्टोरेंट, होटल व अग्नि आदि के लिये लाल, पर्पल व हरे रंगो का प्रयोग करें। इनका 'लोगो' त्रिभुजाकार या आयताकार रखें।

आटोमोबाइल्स, इलेक्ट्रानिक्स, छापखाना (प्रेस) मद्गाीन, ज्वैलरी, खदान आदि वेबसाईटो के लिए सुनहरे व पीले रंगों का प्रयोग करें। इनका 'लोगो' गोल या वर्गाकार रखे। प्रिटिंग, मीडिया, फर्नीचर, बागवानी, डेयरी आदि से जुडें वेबसाइटों के लिए हरे, नीले व काले रंगो का प्रयोग करे। इनका 'लोगो' आयताकार या तरंगाकार रखे। वेबसाइट के आरंभ में हल्के व आकर्षण तथा निचले हिस्से में गंभीर विषयवस्तु डाले।

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Importance & Procedure for donating spiritual items


दान का महत्व एवं विधि

शास्त्रों में गृह शांति के विभिन्न उपायों में गृहानुसार दान देने का विशेष  महत्व है किन्तु ऐसा देखने में आया हैं कि लोग दान के महत्व व विधि से पूर्णतः अवगत नहीं है। इसलिये दान देने के बावजूद भी दान का सुफल दानदाता को नहीं मिल पाता है।

दान देने की सही विधि व सही कारण दान के पुण्य को दुगुना कर देता है। दान का सुफल उतना ही लौटकर आ जाता  है, जैसे :- कुएं में झाककर आवाज देने से हमारे स्वर पुनः लौट आते है। दान का सुफल किसी भी रुप में निश्चित मिलता ही है। किन्तु हम यह जान नहीं पाते कि किस दान का क्या सुफल हमें मिला। दान के पुण्य का न तो कोई निश्चित समय होता है और न ही कोई निश्चित मात्रा।


१. दान देने से पूर्व यह जरुर मालूम होना चाहिये कि दान  किसे, कब और क्यों देना है, अर्थात दान हमेशा    किसी जरुरतमंद को, किसी उपयुक्त दिन व समय में देना शुभ माना गया है।
२. शास्त्रों में विभिन्न ग्रहों की शांति के लिये विभिन्न उपाय बताये गये है। विभिन्न ग्रहो के अनुसार दान भी अलग - अलग है। अतः ग्रहों के उपयुक्त दिन, रंग व वस्तु को ध्यान में रखकर दान देना चाहिए।
. सूर्य ग्रह की शांति के लिये आटे, गुड तथा तांबे का दान करना चाहिए।रत्नों में माणिक भी दान कर सकते है।
. चंद्र ग्रह की शांति हेतु चांदी, दूध, चांवल, सफेद कपडे, सफेद मिठाई, आदि का दान करना चाहिए। शंख, कपूर, श्वेत चंदन और मोती का दान भी उपयुक्त है।
५. मंगल ग्रह की शांति के लिये लाल कपडा, मूंगा, मसूर की दाल, गुड, सिन्दूर, व लाल मिर्ची का दान उपयुक्त माना गया है।
. बुध ग्रह की शांति के लिये हरे कपडे, हरा धनिया, पन्ना, साबूत मूंग की दाल, हरी सब्जी, कांस्य के बर्तन, घी, मिश्री, आदि का दान उपयुक्त है।
७. बृहस्पति ग्रह की शांति हेतु पीले वस्त्र, चने की दाल, सोना, पुखराज, पीले फूल, केसर, पीले फल, हल्दी, शहद, भूमि आदि का दान उपयुक्त है।

८. शुक्र ग्रह की शांति के लिये चांदी, दूध, चांवल, सफेद कपडे, सफेद मिठाई, आदि का दान करना चाहिए। शंख, कपूर, श्वेत चंदन और अमेरिकन डायमंड का दान भी उपयुक्त है।
९. शनि ग्रह की शांति हेतु काले वस्त्र, काला छाता, काला कम्बल, काला नमक, उदड की दाल, लोहा, नेत्र रोग की दवाईयां, नीलम, या तुरमुली, काला तिल, चमडा, सरसों का तेल, शराब, आदि का दान उचित माना गया है।
१०. राहु ग्रह की शांति के लिये जौ, गोमेद, उडद, सोने का साप, सात प्रकार के अन्न, नीला वस्त्र, काले फूल, काले तिल, तांबे का बर्तन आदि का दान करना उपयुक्त माना गया है।
११. केतु ग्रह की शांति हेतु उडद, कम्बल, कस्तूरी, लहसुनिया, काले फूल, काले तिल, लोहा, सोना व सात प्रकार के अन्न दान करना उपयुक्त माना गया है।

दान करने के उपरांत दान के बारे में किसी अन्य व्यक्ति से चर्चा करने से दान का महत्व खत्म हो जाता है। अतः जब हम निःस्वार्थ भाव से, शुद्ध मन से, शुद्ध भावना से बिना विचलित हुये एवं विनम्रता से दान करते है तभी पुण्य कमा सकते है।
Don't forget that we are ultimately judged by "what we give" and not by "what we get".
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