Saturday, December 17, 2011

घरेलु समाधान

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BY VEEJ ASTRO ON FACEBOOK






1 .शुद्ध शहद में सुरमे की पांच डलिया डाल कर घर में अथवा व्यवसायिक स्थान पर रखे कारोबार में वृदि होगी 



शत्रुता कम होगी


२. जो बच्चे रात को डर कर अथवा चोंक कर उठते है उनके सिरहाने के नीचे लोहे की छोटी सी पत्ती (सब्जी 


काटने वाली छुरी) रखे ||


३.अगर कोई बड़ा व्यक्ति रात को डर कर उठता है तो उसके सिरहाने के नीचे हनुमान चालीसा रखे और सोने से 


पहले हाथ पैर अच्छे ढंग से धोकर सोये||


४.घर में अथवा व्यवसायिक स्थान पर नमक मिले पानी का पोचा लगाये तो घर में नकारत्म्कता कम होगी||

५. नकारत्मक सोच वाले लोगो के पास ज्यादा देर मत बैठे अपितु उनसे कोई भी नई योजना सम्बन्धी विचार 


विमर्श मत करे||

६. कोर्ट कचहरी में जज के समक्ष कभी भी छाती नंगी और मस्तक ढांक कर पेश न होवे||

७. सप्ताह में एक बार पोधो वाले स्थान पर गुड अथवा मीठी चीज बिखेर देवें ||

८. चलते जल में ताम्बे के सिक्के डाले ||

९. घर में देवी देवतायो के कम से कम चित्र लगाए |

१०. किसी भी भी देवी देवता का खंडित चित्र अथवा प्रतिमा मत रखे||

११. रात को घर में बने पूजा स्थल को विधिवत पर्दे से ढांप कर रखे ||

१२. घर में जगह जगह दवाईया एक बक्से में रखे जगह जगह दवाए रखनी घर में बीमारी को बुलावा देने के 


सामान है||


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DONATION - दान -

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by VEEJ ASTRO ON FACEBOOK

DONATION - दान - हमारी भारतीय संस्कृति की एक महत्वपूरण प्रथा .. जो युगों युगों से चलती आ रही है ..

कहा जाता है कि हम अपनी नेक कमाई में से दसवा हिस्सा जिसको दसवंध कहते हैं .. जरुर निकालें .. ता कि 



जो लोग गरीबी और भुखमरी में रह रहे हैं उनको अन्न की प्राप्ति हो सके ..

पर कई बार इस भलाई के काम में किसी का नुक्सान भी हो जाता है ...

हम कई बार उन का दान कर जाते हैं जो हमारी कुंडली के हिसाब से योगकारी होती हैं .. और जब हम उन का 



दान करते हैं तो हमें कोई न कोई नुक्सान होने लगता है .. जिसका दोष हम दान विध को देते हैं .. और इस के 


कारण हमारा दान से विशवास उठ जाता है ..

हमेशा अपनी कुंडली के हिसाब से ही दान करना चाहिए ..

जैसे ---

मेष , सिंह , वृश्चिक राशी -वाले कभी भी पीली चीज का दान न करें .. जैसे चने की दाल , हल्दी , गुड , शक्कर 



इत्यादि ..ये लोग सिर्फ काले माह { उड़द } , चाय पत्ती , काली मिर्च का दान कर सकते हैं ..



वृष और तुला राशी वाले { जिनका स्वामी शुक्र है } अगर देसी घी की जोत घर में जलाते हैं तो उनकी गृहस्थी में 



कटुता आ सकती है और घर से लक्ष्मी का वास ख़तम हो सकता है .. ये लोग गुड , चने की दाल , हल्दी इत्यादि 


का दान कर सकते हैं ..



कर्क राशी वाले { जिनका स्वामी चंद्रमा है } अगर दूध का दान करेंगे तो उनकी सेहत में खराबी आ सकती है ..



कन्या राशी और मिथुन राशी वाले { जिनका स्वामी बुध है } अगर गाय को हरा चारा डालते हैं तो उनका व्योपार 



ख़तम हो सकता है और उनके अपने पिता के साथ सम्बन्ध बिगड़ सकते हैं ..



मकर और कुम्भ राशी वाले कभी काली चीज का दान न करें .. कभी काले माह { उड़द } किसी गरीब को न दे .. 



ये सिर्फ चने की दाल लंगर में या गरीब को दे सकते हैं ..



धनु मीन राशी वाले { जिनका स्वामी ब्रहस्पति है } अगर चने की दाल किसी लंगर में दान करेंगे तो उनकी खुद 



की सेहत और उनकी माता की सेहत खराब हो सकती है ...ये लोग सिर्फ काले माह { उड़द } , चाय पत्ती , काली 


मिर्च का दान कर सकते हैं ..



इसी तरह बारह की बारह राशी वालों को हमेशा दान अपनी कुंडली के अनुसार ही करना चाहिए .....Veejastro



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THE AGE OF GEM STONES

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BY MR. VEEJ ASTRO ON FACEBOOK

The age of Gem stones is different.Means for how many years we should keep wearing Gemstones, or how long Gemstone is effective? This tells about the effectiveness of the stones.

Manik or Ruby:-This is the ratna of Surya.It's age is 4 years and 4 months.

Moti or Pearl:-This is the ratna of Chandra.It's age is 2 years and 2 months.

Moonga or Red Coral:-This is the ratna of Mangal.It's age is 3 years and 3 months.

Panna or Emarald:-This is the ratna of Budh.It's age is 3 years and 3 months.
Pukhraj or Yellow Sapphire:-This is the ratna of Guru.It's age is 4 years and 4 months.
Heera or Diamond:-This is the ratna of Shukra.It's age is 7 years and 7 months.
Neelam or Blue Sapphire:-This is the ratna of Shani.It's age is 5 years and 5 months.
Gomed:-This is the ratna of Rahu.It's age is 3 years and 3 months.
Lehsuniya or Cats Eye:-This is the ratna of Ketu.It's age is 3 years and 3 months.....

तन्त्र-यन्त्र की परिभाषा

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BY MR.PARAS KALA ON FACE BOOK


यन्त्र की परिभाषा 


यन्त्र वह नाम है जिसका उद्देश्य संसार के जितने भी जीव जन्तु स्त्री पुरुष हैं उनकी सहायता के 

लिये किया जाये,वह सहायता पैदा करने से मारने तक के कामो मे ली जा सकती है.पृथ्वी खुद एक 

यन्त्र है,जमीन की सहायता रहने के लिये और घर बनाकर निवास करने से लेकर चलने और अपना 

फ़ैलाव करने तक के काम आती है,जो भी जमीन से पैदा होता है,उसी से अपना उदर पोषण भी 

किया जाता है,जो भूख मिटाये वह अन्न भी यन्त्र ही कहा जायेगा,जो प्यास बुझाये वह पानी भी 

यन्त्र कहा जायेगा,जिससे शरीर की अग्नि की शान्ति हो,वह जीवन साथी भी एक यन्त्र ही 

कहलायेगा, लेकिन केवल चार रेखायें बनाकर केवल एक ताम्र पत्र और स्वर्ण पत्र को ही यन्त्र नही 

कहा जा सकता है, वैदिक यन्त्र का उद्देश्य केवल कुछ लाइनो और त्रिभुज चतुर्भुज और बिन्दु के 


द्वारा स्थिति विषेष की तरफ़ ध्यान देकर उसे समझने के द्वारा ही माना जा सकता है. हिन्दी भाषा 


के सभी अक्षर भी यन्त्र की भांति काम करते है,अगर पट्टी,पत्थर या किसी भी धातु पर किसी 


अक्षर को लिख दिया जायेगा तो वह भी अपने में उसी अक्षर का बोध करवायेगा.कारण जो गति पूर्व 


से नियुक्त की गयी है,उससे परे कुछ भी नही कहा जा सकता है,हवाई जहाज भी यन्त्र है तो एक 

साइकिल भी यन्त्र का रूप माना जा सकता है.

तन्त्र की परिभाषा 

कार है और चलाने का मन्त्र भी आता है,यानी शुद्ध आधुनिक भाषा मे ड्राइविन्ग भी आती है,रास्ते मे 

जाकर कार किसी आन्तरिक खराबी के कारण खराब होकर खडी हो जाती है,अब उसके अन्दर का 

तन्त्र नही आता है,यानी कि किस कारण से वह खराब हुई है और क्या खराब हुआ है,तो यन्त्र यानी 

कार और मन्त्र यानी ड्राइविन्ग दोनो ही बेकार हो गये,किसी भी वस्तु,व्यक्ति,स्थान,और समय का 

अन्दरूनी ज्ञान रखने वाले को तान्त्रिक कहा जाता है,तो तन्त्र का पूरा अर्थ इन्जीनियर या मैकेनिक 

से लिया जा सकता है जो कि भौतिक वस्तुओं का और उनके अन्दर की जानकारी रखता है,शरीर 

और शरीर के अन्दर की जानकारी रखने वाले को डाक्टर कहा जाता है,और जो पराशक्तियों की 

अन्दर की और बाहर की जानकारी रखता है,वह ज्योतिषी या ब्रह्मज्ञानी कहलाता है,जिस प्रकार से 

बिजली का जानकार लाख कोशिश करने पर भी तार के अन्दर की बिजली को नही दिखा 

सकता,केवल अपने विषेष यन्त्रों की सहायता से उसकी नाप या प्रयोग की विधि दे सकता है,उसी 

तरह से ब्रह्मज्ञान की जानकारी केवल महसूस करवाकर ही दी जा सकती है,जो वस्तु जितने कम 

समय के प्रति अपनी जीवन क्रिया को रखती है वह उतनी ही अच्छी तरह से दिखाई देती है और 

अपना प्रभाव जरूर कम समय के लिये देती है मगर लोग कहने लगते है,कि वे उसे जानते है,जैसे 

कम वोल्टेज पर वल्व धीमी रोशनी देगा,मगर अधिक समय तक चलेगा,और जो वल्व अधिक 

रोशनी अधिक वोल्टेज की वजह से देगा तो उसका चलने का समय भी कम होगा,उसी तरह से जो 

क्रिया दिन और रात के गुजरने के बाद चौबीस घंटे में मिलती है वह साक्षात समझ मे आती है कि 

कल ठंड थी और आज गर्मी है,मगर मनुष्य की औसत उम्र अगर साठ साल की है तो जो जीवन का 

दिन और रात होगी वह उसी अनुपात में लम्बी होगी,और उसी क्रिया से समझ में आयेगा.जितना 

लम्बा समय होगा उतना लम्बा ही कारण होगा,अधिकतर जीवन के खेल बहुत लोग समझ नही 

पाते,मगर जो रोजाना विभिन्न कारणों के प्रति अपनी जानकारी रखते है वे तुरत फ़ुरत में अपनी 

सटीक राय दे देते है.यही तन्त्र और और तान्त्रिक का रूप कहलाता है.

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