Monday, February 6, 2012

२0 फरवरी 12 - महाशिव्रात्रि

REQUEST KINDLY READ AND COMMENT

Mahashivratri (20.02.2012) - Warship of God Shiv - Shankar for health & Wealth

शिवमहिमा का महत्व
(२0 फरवरी 12, महाशिवरात्रि पर विशेष)

आलेख - आशुतोष जोशी


इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व २0 फरवरी 12 को आ रहा हैं, यह वह पर्व हैं जब हम सब देवों के देव महादेव याने भोले शंकर भगवान की पूजा अर्चना करके अपने जीवन को सुख - समृद्ध बनाने की प्रार्थना करते है। शास्त्रों में निहित पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ही ऐसे देव हैं जो अन्य देवताओं के संकटों को भी हर लेते है। अतः उन्हें महादेव कहा जाता हैं। महादेव शिव सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के सृष्टिकर्ता हैं। आज इस पावन पर्व पर भगवान भोलेनाथ के संबंध में मुखय बातें नीचे दी जा रही है। जिसके द्वारा भगवान शंकर के भक्तजन विशेष पर्व पर विशेष लाभ ले सकें।


इस वर्ष २0 फरवरी को प्रातः काल स्नान आदि के बाद शिवलिंग पूजा व उपवास का सर्वकार्य सिद्धि हेतु विशेष महत्व है। बेल पत्र, दूध मिश्रित जल, धतूरे का फल, सफेद पुष्प, सफेद मिठाई या मिश्रि, रुद्राक्ष, सफेद चंदन, भांग, गाय का घी आदि शिवलिंग पूजा में विशेष महत्व रखते है क्योंकि यह सब महादेव को अत्यंत प्रिय हैं।

महाशिवरात्रि के दिन गाय के कंडे को प्रज्जवलित करके घी व मिश्री के द्वारा पंचाक्षर मंत्र से हवन करके हवन की धुनी को संपूर्ण घर में घुमाने से सुख - समृद्धि शांति व सद्‌भावना में वृद्धि होती है।

यदि कन्या के विवाह में अनावश्यक विलंब हो रहा हो तो कन्या के माता - पिता मंदिर में जाकर १०८ बेल पत्रों से शिवलिंग की पूजा करें तथा उसके बाद ४० दिन तक घर में शिव आराधना करें, तो कन्या का विवाह जल्दी व अच्छे परिवार में होना निश्चित है।

शास्त्रों के अनुसार काल - सर्प दोष निवारण हेतु महाशिवरात्रि के दिन प्रातः चांदी या तांबे से बने नाग व नागिन के जोडे को शिवलिंग पर अर्पित कर दें।

महाशिवरात्रि क्रे दिन प्रातः पीपल के पेड की सरसों के तेल द्वारा प्रज्जवलित दिये से पूजा अर्चना करने से शनि दोष दूर होता है।

महाशिवरात्रि के दिन उपवास रखकर चारों पहर पंचाक्षर मंत्र की एक रुद्राक्ष माला का जाप करने से दरिद्रता मिट जाती हैं।

(अष्टदरिद्र विनाशितलिंगम्‌ तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम्‌। )