Sunday, January 27, 2013

शंखों का आध्यात्मिक महत्व

आलेख - आशुतोष जोशी


शंखों का आध्यात्मिक  महत्व सर्वविदित है !  भगवान विष्णु जी  के कर-कमलों में चक्र,गढ़ा के साथ शंख भी प्रमुख रुप से सुशोभित है !  समुद्र मंथन में देवी लक्ष्मी जी के साथ दक्षिणवर्ती शंख भी था और चूँकि लक्ष्मी जी की उत्पति समुद्र के अन्दर से हुई है, लक्ष्मी जी को सभी समुद्री जीव जन्तु व पौधे बहुत पसंद है ! 

 मोती-शंख, गोमती चक्र, मछलियां, कछुये सीपियाँ आदि लक्ष्मी कि प्रिय है ! इसलिए  लक्ष्मी-प्रप्ति की इच्छा रखने वाले सभी लोग, अपने पूजा स्थल पर उपरोक्त वस्तुओं को रख सकते है तथा मछलियों को दाना देना,कछुआ पालना आदि सभी लक्ष्मी जी कृपा पाने में मदद करते है ! 

शंख हमारे परिवार में सुख-शांति लाने के अलवा, भूत प्रेतों, शतुरोऊँ व दुर्घटनाओं से भी रक्षा करने में समर्थ होता है ! शंख के महत्व की महिमा विश्वामित्र-संहिता, गौरक्षा-संहिता , पुलस्त्य-संहिता आदि शास्त्रों में विस्तार से बतायी गयी है !  

विष्णु-पुराण के अनुसार माता लक्ष्मी समुद्र-राज की पुत्री है और शंख उनके सहोदर भाई है ! इसलिए यह मंत्र शंख-पूजा में रोज़ एक माला जपना उत्तम माना गाया है !


 "ओम श्री लक्ष्मी सहोदर्या नमः " 

पूजा स्थान पर शंख में थोड़ा सा गंगा जल भरकर  रखना चाहिये, जो नकारात्मक उर्जाओ को दूर् रखता है ! शंख को स्थापित करने हेतु एक लाल कपड़े पर शंख रखकर स्वस्ति वाचन के द्वारा लाल कुकु व अक्षत से पूजा करना चाहिए ! शंख क्ा पूछ वाला भाग पूर्व दिशा में होना चहिये ! 


शंख पूजा हेतु गायत्री मंत्र -


"ओम पांजन्याय विद्महे, पाव मानाय धीमही तन्नो शंख: प्रचोदयात "


शंख पूजा हेतु बीज मंत्र -


"ओम ह्रीं श्रीम क्लीम  ब्लूम दक्षिण मुखाय शंख निधये समुद्र प्रभावय नमः "

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