Thursday, May 9, 2013

वास्तु शास्त्र के अनुसार मिटटी का परिक्षण"


BY MR. DEONARAYAN JI ON FACEBOOK 

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> अगर आप भवन निर्माण करने जा रहे हैं तो वास्तु शास्त्र के अनुसार निम्न परीक्षण को अवश्य करें 

> वास्तु शास्त्र में मिट्टी की शक्ति को परखने के लिए उसकी जांच करने की बात कही गई है, क्योंकि मिट्टी को ही भवन का पूरा भार वहन करना पड़ता है और प्राकृतिक शक्तियों और प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। 

> हमारे प्राचीन वास्तु ग्रंथों में मिट्टी की पारगम्यता [ Permeability ] की जांच के लिए बहुत साधारण और सरल विधियां बताई गईं हैं।

> भूखंड के बीच में एक हाथ लंबा [1'6"], एक हाथ चौड़ा और एक हाथ गहरा गड्ढा खोदकर सूर्यास्त के समय पूरा पानी से भरकर रख दें 

> सुबह तक यदि इस गड्ढे में कुछ पानी बचे तो वह भूमि मकान बनाने के लिए शुभ होती है।

> यदि गड्ढे में गीली-गीली मिट्टी हो तो भूमि मध्यम होती है

> यदि गड्ढे में पानी न हो और दरारें हो तो उस भूमि पर मकान नहीं बनाना चाहिए ऐसी भूमि अशुभ मानी जाती है 

>उपरोक्त परीक्षण का केवल यही उद्देश्य है कि कंही निर्माण के लिए ली जा रही मिटटी में सीपेज तो नही है 

> सिविल इंजीनियरिंग के अनुसार में यही टेस्ट मिटटी के पारगम्यता निकालने के लिए किया जाता है 

> इसका मतलब यही हुवा कि वास्तु शास्त्र में जो जानकारी दी गयी है उसे उस समय के इंजीनियरों ने तैयार किया है 

> प्रयोगशाला में कंही से लायी गयी मिटटी के पारगम्यता [ Permeability Test] निकालने के ये टेस्ट होते हैं 

PERMEABILITY TEST -OBJECTIVE-To determine the coefficient of permeability of a soil using constant head method.

> The knowledge of this property is much useful in solving problems involving yield of water bearing strata, seepage through earthen dams, stability of earthen dams, and embankments of canal bank affected by seepage, settlement etc. 

> Finding the discharge through the specimen under a particular head of water.

> Definition of coefficient of permeability -The rate of flow under laminar flow conditions through a unit cross sectional are of porous medium under unit hydraulic gradient is defined as coefficient of permeability.



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