Sunday, February 21, 2016

'स्वप्न लोक और ज्योतिष'



FROM THE BLOG OF ------

डॉ.मनोज चतुर्वेदी


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ऋषि याज्ञवल्क्य ने कहा है कि यह संसार स्वप्न की तरह है। जिस प्रकार जागने पर स्वप्न झूठा
प्रतीत होता है, उसी प्रकार आत्मा का ज्ञान प्राप्त होने पर यह संसार मिथ्या प्रतीत होता है ।
स्वप्न का संसार बड़ा ही अदभुत है और चमत्कारी भी है । क्योंकि इस निद्रा यज्ञ में इंसान उन ऊंचाइयों को छू लेता है, जिसकी कल्पना तक जाग्रत अवस्था
में कोई व्यक्ति नहीं कर पाता । हमारे मस्तिष्क को दिन भर जो सिगनल मिलते हैं और भावनाएं जागृत होती है जिन्हें हम चाह कर के भी नहीं प्रकट कर पाते वह हमारे अवचेतन मन में दर्ज होते जाते हैं रात को जब शरीर आराम कर रहा होता है तब यह स्वप्न रूप में प्रकट होते हैं |


उपनिषदों के अनुसार आत्मचेतना में आत्मा की गति स्थूल कोषों से सूक्ष्म कोषों की ओर होती है। किन्तु वह सूक्ष्मतम आनन्दमय कोष में नहीं, बल्कि स्वयं आनन्दमय है। इसी प्रकार चेतना की दृष्टि से आत्मा की चार अवस्थाएँ होती हैं-


(१)--जाग्रत- (जागने की स्थिति, जिसमें सब इन्द्रियाँ अपने विषयों में रमण करती रहती हैं) ।
(२)--स्वप्न- (वह स्थिति जिसमें इन्द्रियाँ तो सो जाती हैं, किन्तु मन काम करता रहता है और अपने संसार की स्वयं सृष्टि कर लेता है) ।
(३)--सुषुप्ति- (वह स्थिति, जिसमें मन भी सो जाता है, स्वप्न नहीं आता, किन्तु जागने पर यह स्मृति बनी रहती है कि, नींद अच्छी तरह आई) |
(४)--तुरीया- (वह स्थिति, जिसमें सोपाधिक अथवा कोषावेष्टित जीवन की सम्पूर्ण स्मृतियाँ समाप्त हो जाती हैं।)


स्वप्न के सन्दर्भ में कुछ प्रसिद्द घटनाएँ:--


‘‘दि अंडर-स्टैंडिंग आफ ड्रीम्स एंड देयर एन्फ्लूएन्सेस ऑन दि हिस्ट्री ऑफ मैन’’ हाथर्न बुक्स न्यूयार्क द्वारा प्रकाशित पुस्तक में एडाल्फ हिटलर के एक स्वप्न का जिक्र है, जो उसने फ्रांसीसी मोर्चे के समय सन् १९१७ में देखा था । उसने देखा कि उसके आसपास की मिट्टी भरभराकर बैठ गई है, वह तथा उसके साथी लोहे में दब गये हैं- हिटलर बचकर भाग निकले, किंतु तभी बम विस्फोट होता है- उसी के साथ हिटलर की नींद टूट गयी । हिटलर अभी उठकर खड़े ही हुए थे कि सचमुच तेज धमाका हुआ, जिससे आसपास की मिट्टी भरभराकर ढह पड़ी और खंदकों में छिपे उनके तमाम सैनिक बंदूकों सहित दबकर मर गये। स्वप्न और दृश्य का यह सादृश्य हिटलर आजीवन नहीं भूले ।
टीपू सुल्तान को अपने स्वप्नों पर आश्चर्य हुआ करता था, सो वह प्रतिदिन स्वप्न डायरी में नोट किया करता था। उनके सच हुए स्वप्नों के विवरण कुछ इस प्रकार हैं-
‘‘शनिवार 24 तारीख रात को मैंने सपना देखा। एक वृद्ध पुरुष कांच का एक पत्थर लिए मेरे पास आए हैं और वह पत्थर मेरे हाथ में देकर कहते हैं- सेलम के पास जो पहाड़ी है उसमें इस काँच की खान है, यह कांच मैं वहीं से लाया हूँ। इतना सुनते-सुनते मेरी नींद खुल गई ।" टीपू सुल्तान ने अपने एक विश्वास पात्र को सेलम भेजकर पता लगवाया, तो ज्ञात हुआ कि सचमुच उस पहाड़ी पर काँच का भंडार भरा पड़ा है। इन घटनाओं से इस बात की पुष्टि होती है कि समीपवर्ती लोगों को जिस तरह बातचीत और भौतिक आदान-प्रदान के द्वारा प्रभावित और लाभान्वित किया जा सकता है, उसी तरह चेतना के विकास के द्वारा बिना साधना भी आदान-प्रदान के सूत्र खुले हुए हैं ।


धर्मयुग के १६ फरवरी,१९७५ के अंक में स्वप्नों की समीक्षा करते हुए एक अंधे का उदाहरण दिया गया था, अंधे से पूछा गया कि क्या तुम्हें स्वप्न दिखाई देते हैं इस पर उसने उत्तर दिया-मुझे खुली आँख से भी जो वस्तुएँ दिखाई नहीं देतीं, वह स्वप्न में दिखाई देती हैं। इससे फ्रायड की इस धारणा का खंडन होता है कि मनुष्य दिन भर जो देखता और सोचता-विचारता है, वही दृश्य मस्तिष्क के अंतराल में बस जाते और स्वप्न के रूप में दिखाई देने लगते हैं। निश्चय ही यह तथ्य यह बताता है कि स्वप्नों का संबंध काल की सीमा से परे अतींद्रिय जगत से है अर्थात् चिरकाल से चले आ रहे भूत से लेकर अनंत काल तक चलने वाले भविष्य जिस अतींद्रिय चेतना में सन्निहित हैं, स्वप्न काल में मानवीय चेतना उसका स्पर्श करने लगती है ।


स्वप्न में मनुष्य की रुचि हमेशा से ही है। हमारे वेदों-पुराणों में भी स्वप्न के बारे में जिक्र किया गया है। 'अग्नि पुराण' में स्वप्न विचार और शकुन-अपशकुन पर भी विचार किया गया है । हमारे ऋषि-मुनियों के अनुसार सपनों का आना ईश्वरीय शक्ति का वरदान है और निद्रा की चतुर्थ अवस्था या रात्रि के अंतिम प्रहर में आए स्वप्न व्यक्ति को भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास कराते हैं । हमारे आदि ऋषि-मुनियों ने स्वप्न के मर्म को समझते हुए इनके ज्योतिषीय पक्ष के शुभा शुभ फलों के बारे में तो बताया, लेकिन यह पहेली अनसुलझी रह गई कि स्वप्न क्यों आते हैं और इनका मनोवैज्ञानिक आधार क्या है ?


स्वप्न के सन्दर्भ में मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण:--


प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक वैवस्टर के अनुसार स्वप्न सोए हुए व्यक्ति के अवचेतन मस्तिष्क में चेतनावस्था के दौरान घटित घटनाओं, देखी हुई आकृतियों, कल्पनाओं व विचारों का अपरोक्ष रूप से चित्रांकन होना है। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक फ्रॉयड के अनुसार हमारे दो मस्तिष्क होते हैं- पहला चेतन और दूसरा अवचेतन । हमारा जब चेतन मस्तिष्क सुप्तावस्था में होता है तो अवचेतन मस्तिष्क सक्रिय होना प्रारंभ होता है और इंसान के जीवन में घटी घटनाओं या निर्णयों के उन पहलुओं पर गौर करता है जिन पर चेतन मस्तिष्क में गौर नहीं कर पाता । स्वप्न के बारे में सन 1953 ईस्वी में यूसिन सेरिन्स्की सन १९७६ ईस्वी में मनोवैज्ञानिक ऎलेने हॉबसन व रॉबर्ट मैकार्ले ने अघ्ययन किया और इन्होंने फ्रॉयड के अवचेतन मस्तिष्क की अवधारणा को परिवर्तित रूप में प्रतिपादन किया जिसके कारण इन्हें आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा। इनके अनुसार नींद की चार अवस्था होती हैं। चौथी अवस्था में "रेम" सिद्धांत कार्य करता है। इसमें चेतन मस्तिष्क द्वारा उपेक्षित घटनाओं या अवस्थाओं का समेकित रूप होकर प्रतिकृति के रूप में सामने आते हैं । फ्रॉयड के ही अनुसार बुरे सपने आपको भावनात्मक अवसाद से बचाने के लिए आपका मनोबल बढ़ाते हैं और साथ ही भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास भी कराते हैं ।


स्वप्न के सन्दर्भ में चिकित्सा-विज्ञान और जीव-विज्ञान का दृष्टिकोण:--
जीव वैज्ञानिकों द्वारा किये गए एक अघ्ययन के अनुसार निद्रावस्था के दौरान दबाव कम करने वाला हॉर्मोन "कॉर्टिसोल" का स्त्राव ज्यादा होता है और इंसानी मन की स्मृतियां धीरे-धीरे मंद होती जाती हैं। ऎसे में अवचेतन मस्तिष्क से शेष बची स्मृतियां ही स्वप्न के रू प में साकार होती हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि सपनों का संबंध घटित हुई या होने वाली घटनाओं से किसी ना किसी रू प में होता है। हां इनमें स्थान, पात्र व घटना की निरंतरता बीच-बीच में परिवर्तित हो सकती है ।
चिकित्सा-विज्ञान और जीव-विज्ञान के अनुसार स्वप्न दबी इच्छाओं के लिए एक तरह का सेफ्टी वाल्व है। सामान्यत: हर व्यक्ति हर रात करीब 2 घंटे स्वप्न देखता है। स्वप्न कुछ और नहीं, नींद के दौरान पैदा होने वाले विचारों, तस्वीरों और भावनाओं से जुड़ी मानसिक क्रिया है।


हमारी नींद कई चक्रों में बंटी होती है और हर चक्र कई चरणों में। हर चक्र की शुरुआत हल्की नींद से होती है। अंतिम 2 चरणों में गहरी नींद और रेम (रैपिड आई मूवमेंट) का नंबर आता है। हम हर रात 4 से 5 रेम पीरियड से गुजरते हैं। इनकी अवधि 5 से लेकर 45 मिनट तक की होती है। सारे सपने सिर्फ रेम पीरियड में ही दिखते हैं और सिर्फ स्तनधारियों को ही। रेंगने वाले जन्तुओं और कोल्ड ब्लडेड (ठंडे खून वाले) जीव-जन्तुओं को सपने नहीं आते, क्योंकि नींद के दौरान वे रेम पीरियड से नहीं गुजरते हैं।
नींद की शुरुआत में रेम पीरियड काफी छोटा होता है, लेकिन जैसे-जैसे नींद की अवधि लंबी होती जाती है, रेम पीरियड की अवधि भी बढ़ती जाती है। यही वजह है कि हम ज्यादातर सपने सुबह या नींद के आखिरी चक्र में देखते हैं। इसी वजह से कई बार जब हमारी नींद सुबह में खुलती है तो हम रेम पीरियड में होते हैं और थोड़े समय पहले देखे गए सपने दिमाग में मौजूद रहते हैं। अक्सर जो बुरे सपने याद रहते हैं, वह भी सुबह के वक्त ही देखे गए होते हैं। इसकी एकमात्र वजह है रेम पीरियड में नींद का खुलना। रेम पीरियड के बाद नींद खुलने पर व्यक्ति को कुछ भी याद नहीं रहता है। न ही अच्छा न ही बुरा ।
चिकित्सा-विज्ञान और जीव-विज्ञान के अनुसार यदि कोई व्यक्ति स्वप्न देखें तो बुरे सपने (दु:स्वप्न) कुछ और नहीं बल्कि बढ़-चढ़ कर देखे गए सपने ही हैं। ऐसे सपने देखने का मतलब यह नहीं है कि कोई भूत, प्रेत या पिशाच पीछे पड़ा है। दरअसल ये सपने हम भीतरी तनाव, निराशा, व्याकुलता, मदिरा या फिर ड्रग्स के प्रभाव के कारण देखते हैं। इन चीजों के कारण रेम पीरियड बढ़ जाता है और हम लंबे-लंबे और ऊटपटांग सपने देखते हैं। वहीं कैफिनयुक्त पेय पदार्थों और कुछ दूसरे ड्रग्स का प्रभाव ठीक इसके विपरीत होता है। ये रेम पीरियड को छोटा कर देते हैं। कैफिन या रेम पीरियड को घटाने वाले ड्रग ऊटपटांग सपने देखने वालों के लिए काफी फायदेमंद साबित होते हैं ।


चिकित्सकों का सामना अक्सर ऐसे मरीजों से होता रहता है, जो दु:स्वप्न के शिकार होते हैं। ऐसे लोगों की सामान्य रूप से डर और चिंता के मारे नींद खुलने की शिकायत होती है। नींद खुलने के पीछे अधिकतर का यही कहना होता है कि स्वप्न में वे किसी मृत या जिंदा (जाने-अनजाने) व्यक्ति को देखते हैं। ऐसी स्थितियों को साधारण लोग भूत-प्रेत या पिशाच से जोड़ देते हैं। फिर अशिक्षा या अंधविश्वास के कारण वे ओझा, पुजारी, बाबा, तांत्रिक या किसी ठग के चक्कर में फंस जाते हैं।


बार-बार दु:स्वप्न देखने को ड्रीम एंग्जाइटी डिसॉर्डर कहा जाता है। इसके इलाज की जरूरत होती है। ठीक तरह से इलाज न होने पर इनसे पारिवारिक-जीवन के लिए भी परेशानी पैदा होने का खतरा रहता है। दु:स्वप्नदेखने की बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है। महिलाओं में यह समस्या युवा अवस्था में शुरू हो जाती है ।




स्वप्न के सन्दर्भ में ज्योतिषीय दृष्टिकोण:--


ऐसा माना जाता है कि यदि कोई बुरा स्वप्न दिखाई दे, तो नींद खुलते ही अपने आराध्य को ध्यान करके पानी पी लेना चाहिए। इसके पश्चात् फिर सोना नहीं चाहिए | ऐसी मान्यता भी है कि दिन में दिखे स्वप्न निष्फल होते हैं ।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से स्वप्न का शुभ एवम अशुभ फलदायक प्रभाव:--
ज्योतिषशास्त्र के अनेक पुराणों एवम संहिता ग्रंथों में स्वप्नों के शुभाशुभ फल का विस्तृत वर्णन दिया गया है | अनेकों बार स्वप्न के माध्यम से हमें भविष्य में होने वाली शुभ या अशुभ घटना का संकेत मिलता है | मुझे बहुत से व्यक्तियों के ऐसे अनुभव सुनने में आये हैं कि उनको किसी शुभ या अशुभ घटना का संकेत पहले ही स्वप्न में मिल गया था |


शुभ-फलदायक स्वप्न:--


(१) स्वप्न में देव दर्शन , पितृ दर्शन , भाई–बहन और कुटुंबियों का दिखना शुभ माना जाता है ।
(२) स्वप्न में स्वयं को मृतक देखना , सर्प द्वारा काटना , खून निकलना , स्वर्ग दर्शन , सर्प को मारना सूर्य चंद्र ग्रहण को देखना , सेना को देखना , वर्षा होते दिखाई देना मनोरथ पूर्ण होने के संकेत करता है ।
(३) यदि आप स्वप्न में स्वयं को मल में लिपटा हुआ पाते हैं या सांप ने आपको काट लिया है, तो इसका मतलब है कि आपको धन की प्राप्ति होगी। सपने में आपके सिर पर सांप काट ले, तो आप राजा तक बन सकते हैं ।
(४) स्वप्न में मृत्यु , शमशान मेंअंत्येष्टि , शव आदि दिखाई देते है तो शुभ-लाभ, उन्नति और मनोरथों की प्राप्ति होती है ।
(५) स्वप्न में मृत्यु देखना , लाश देखना , पाखाना देखना आदि शुभ एवं हाथी या घोडे द्वारा पीछा करना कोई बडा सम्मान या पदोन्नति दिलाता है ।
(६) स्वप्न में सुंदर स्त्री या अप्सरा देखना प्रेमी या प्रेमिका से मिलाप कराता है ।
(७) स्वप्न में दांत टूटना या नाखून काटना कर्ज से मुक्ति , ट्रेन दिखना यात्राकारक , बाग – बगीचा या हराभरा मैदान देखना , चिंता से मुक्ति दिलाता है ।
(८) स्वप्न में अपने को उड़ता देखना - यह आत्मविश्वास या स्वतंत्रता एवं मोक्ष का दर्शन है। आधुनिक विचारधारा इसे असाधारण क्षमता के प्रतीक के रूप में देखती है ।
(९) यदि स्वप्न में घोड़े देखें - घोड़े का दिखना स्वस्थ होने का सूचक है। यह परोक्ष दर्शन की क्षमता सुझाता है। कुछ लोग इसका संबंध प्रजनन से जोड़ते हैं ।
(१०) यदि स्वप्न में कबूतर दिखाई दे तो यह शुभ समाचार का सूचक है ।
(११) यदि किसी व्यक्ति को सपने में गधा दिखाई दे या खुद को गधे की सवारी करते देखे तो इसके भी अलग-अलग फल भविष्य में प्राप्त होते हैं ।
(अ)यदि स्वप्न में व्यक्ति खुद को गधे पर बैठा हुआ देखता है तो उसे किसी विशेष संस्था में कोई ऊंचा पद प्राप्त हो सकता है ।
(ब)यदि स्वप्न में गधे की पीठ पर खुद को कुछ लादते हुए देखे तो समझ लेना चाहिए कि आपके सभी कष्ट और दुख दूर होने वाले हैं। अच्छे मित्र मिल सकते हैं ।
(१२) यदि कोई विवाहित स्त्री स्वप्न में छोटे बच्चे की स्वेटर आदि बुनती है तो उसे शीघ्र ही संतान सुख मिलता है।
(१३) यदि स्वप्न में किसी को सुंदर व नवजात शिशु दिखाई दे तो उसे भी सुंदर संतान का सुख प्राप्त होता है।
(१४) यदि स्वप्न में हरे-भरे खेत दिखे तो उसे संतान की प्राप्ति होती है।
(१५) यदि स्वप्न में अनार दिखाई दे तो संतान के साध धन लाभ भी होता है।
(१६) यदि स्वप्न में सफेद महल, सफेद तोरण या सफेद छत देखता है तो उसे धन व संतान की प्राप्ति होती है।
(१७) यदि स्वप्न में किसी को अपने नाखून बढ़े हुए दिखाई दें तो उसे धन-सम्पत्ति व संतान सुख मिलता है।
(१८) यदि स्वप्न में नि:संतान व्यक्ति सपने में दर्पण में अपना मुख देखता है तो उसे संतान प्राप्ति होती है।
(१९) यदि स्वप्न में कोई व्यक्ति तिल, चावल सरसों, जौ, अन्न, का ढेर देखता है। उस व्यक्ति को जीवन में सभी सुख मिलते हैं ।
(२०) यदि स्वप्न में कोई व्यक्ति कलश, शंख और सोने के गहने देखता है तो उसे जीवन में हर सुख मिलता है ।
(२१) यदि स्वप्न में खुद को चाय या चाय की चुस्की लेते देखें तो उसे जीवन में हर्ष उल्लास और समृद्धि मिलती है ।
(२२) यदि स्वप्न में कोई व्यक्ति अपनी खोई हुई वस्तु प्राप्त करता है तो उसे आगामी जीवन में सुख मिलता है ।
(२३) यदि स्वप्न में कोई व्यक्ति इन्द्र धनुष देखता है तो उसका जीवन बहुत सुखमय और खुशियों से भरा होता है ।
(२४) यदि स्वप्न में व्यक्ति खुद को पर्वत पर चढ़ता पाए, तो उसे एक दिन सफलता निश्चित मिलती है।
(२५) यदि स्वप्न में भंडारा कराते देखे तो व्यक्ति का जीवन धनधान्य से पूर्ण रहेगा।
(२६) यदि आप स्वप्न में देखते है कि आपका मकान मालिक आपसे किराया मांग रहा है तो समझ लीजिए कि इस स्वप्न का फल अति उत्तम है. भविष्य में आप खुद का मकान लेने वाले है या आपके व्यवसाय या नौकरी में उन्नति होने वाली है |
(२७) यदि स्वप्न में आपको अचानक ही छींक आती है और आप फ़ौरन ही अपने रुमाल से अपनी नाक साफ़ करने लगे है तो इस स्वप्न का फल आपके लिए अति उत्तम औरऐश्वर्यशाली है | भविष्य में आपकी आय में वृद्धि होगी या आय का दूसरा स्रोत मिलेगा, जिससे आपका काया कल्प होने वाला है |
(२८) यदि आप स्वप्न में किसी बच्चे को गोद में लेते है तो स्वप्न शुभ फलदायक होता है | आपको भविष्य में जुए, लॉटरी या सट्टे से बगैर कमाए ही धन मिल सकता है |
(२९) यदि आप स्वप्न में देखते है कि एक शेर आपके सामने आकार गर्जना कर रहा है.आपकी आँखे डर के मारें सहसा ही खुल जाती है, आप जितना डरे हुएं है उतना ही स्वप्न आपके लिए शुभ होगा | आने वाले दिनों में आपको अनेक सुन्दर स्त्रियों का स्नेह और शारीरिक सुख मिलने वाला है |
(३०) यदि आप अभी कुंवारे है, आप स्वप्न में देखते है कि कोई हथियार आपके सामने फर्श पर पड़ा हुआ है, इसका फल बहुत ही शुभ है अर्थात आपको आने वाले समय में शीघ्र ही जीवन साथी मिलने वाला है |
(३१) यदि स्वप्न में भालू आपको पेड़ पर चडता हुआ नजर आता है तो इसका फल बहुत ही शुभ होता है, आपको भविष्य में मनपसंद जीवनसाथी मिलने वाला है |
(३२) यदि स्वप्न में आप देखते है कि कुम्हार घड़ा बना रहा है, तो समझ लीजिए कि अब आपके कष्टों के दिन दूर होने वाले है | इस स्वप्न का फल अत्यंत ही शुभ और समृद्धिदायक होता है
(३३) यदि स्वप्न में आप अपने से उच्चस्थ पदस्थ पुरुष या अधिकारी से अशिष्टता से बात कर रहे है या अभद्र व्यवहार कर रहे है तो आपके लिए इस स्वप्न का फल शुभ है आप जो भी व्यवसाय या कार्य कर रहे होते है उसमें दिनोंदिन उन्नति होनी आरम्भ हो जायेगी |


अशुभ-फलदायक स्वप्न:--


(१) यदि आप स्वप्न में टूटा हुआ हथियार देखते है तो इसका फल अशुभ है अर्थात जीवन साथी के मिलने में विलम्ब होगा, अगर यहीस्वप्न युवा लड़की देखती है तो भी यही फल प्राप्त होगा |
(२) यदि स्वप्न में व्यक्ति को किसी गधे की चीख सुनाई दे तो यह दुख की ओर संकेत करती है । व्यक्ति को किसी प्रकार का कोई कष्ट या विपत्ति आने की संभावना होती है ।
(३) यदि स्वप्न में किसी व्यक्ति को सांप दिखाई देते हैं तो निश्चित ही उसकी कुंडली में काल-सर्प योग होगा। सोते हुए सर्प को अपने शरीर की तरफ आते देख घबरा जाना, पानी पर तैरता हुआ सांप देखना, सांप को उड़ता हुआ देखना, सांप के जोड़े को हाथ पैरों में लिपटा हुआ देखना आदि कुंडली में काल-सर्प योग का प्रतीक होता है |
(४) यदि स्वप्न में कोई व्यक्ति खुद को चावल खाते देखे तो उस व्यक्ति को कई अलग-अलग सफलताएं और असफलताएं प्राप्त होती हैं। सपने में चावल दिखाई देने पर व्यक्ति को कड़ी मेहनत के बाद भी बहुत कम धन प्राप्त होता है ।
(५) यदि कोई व्यक्ति सपने में खोटी चांदी प्राप्त करता है तो इसका मतलब यही है कि निकट भविष्य में आपको धन की हानि हो सकती है। घर की सुख-समृद्धि बुरी तरह प्रभावित होगी । यदिवह व्यक्ति व्यापार करता है तो उसे हानि उठाना पड़ सकती है।
(६) यदि स्वप्न में व्यक्ति खुद को चांदी को गलाते हुए देखता है तो उसे अपने ही लोगों से नुकसान हो सकता है। मित्रों से बैर होने की संभावना बनेगी। चिंताएं और दुख में बढ़ोतरी होगी।
(७) यदि स्वप्न में चांदी की खान दिखाई दे तो उसे बदनामी झेलनी पड़ सकती है। इसी वजह से ऐसा सपना दिखाई देने पर सावधान रहने की आवश्यकता है ।
(८) यदि स्वप्न में व्यक्ति खुद को रोटी बनाता देखे, तो यह रोग का सूचक है ।
(९) वर्तमान में आप किसी खूबसूरत युवा स्त्री से प्यार कर रहे है और रात को स्वप्न में आपने देखा कि भालू आपके सामने खड़ा है तो मामला गडबड है, इसका फल आपके लिए शुभ नहीं है, क्योंकि स्वप्न में भालू को देखना इस बात का सूचक है कि आपकी प्रेमिका पर कोई दूसरा पुरुष भी डोरे डाल रहा है और वह उसकी ओर खींचती चली जा रही है जो निश्चय ही आपके लिए शुभ नहीं है |
(१०) स्वप्न में विकराल देवताओं के दर्शन , पिशाच और राक्षसी , नरक द्रश्य , बर्फ गिरते देखना अशुभ माना गया है ।
(११) स्वप्न में पानी में डूब जाना , बराती देखना , शराब पीना , सुंदर स्त्री को पाना , वृक्षों को काटना , विष खाना देखने का फल अशुभ होता है ।
(१२) स्वप्न में सिर का साफा टोपी गिरना , स्त्री से लडाई , दुबला या मोटा होना का फल शुभ परिणाम नहीं देते ।
(१३) स्वप्न में कबूतर , कौवा , गिद्ध , विद्युत , दिखाई देना , काला वस्त्र धारण करना , हंसना , अंगारे , भस्म , हंसता हुआ संन्यासी नदी का सूखना , गीत गाना , कीचड और घी का दिखना अशुभ माना गया है ।
(१४) स्वप्न में गोबर , तेल से स्नान , अग्नि में प्रवेद्गा करना , मरते हुए देखना , गडडे में गिर जाना , भूख लगना , गधे ऊंट की सवारी करना अशुभ फलदायी माना गया है ।
(१५) स्वप्न में दांतो का घिसना , खेलना , काले रंग की स्त्री से प्रेम करना , सियार , कुत्ता , बिलाव , मुर्गा , सर्प , नेवला मधुमक्खी के दर्शन मांगलिक फल प्रदान नहीं करते ।
(१६) स्वप्न में बिच्छू देखना , मीठा खाना , पर्वत , मंदिर शिखर , ध्वजा देखना सूखे वृक्ष , पुराना धन – सिक्के देखना आंधी तूफान देखना भयंकर दांत सींग वाले जानवर , विचित्र मानव , खाली आलिशन भवन , शीशे का टूटना आदि दृश्य दिखाई देने पर अशुभ फलकारक होकर रोग,भय, पीडा और चिंता प्रदान करते है ।
(१७) स्वप्न में अग्नि , राज्याभिषेक , शादी , बियाबान जंगल , सडे – गले फल , मुरझाए फूल , अंधेरा , आंधी – तूूफान , उल्लू , बाज , सियार , बिल्ली , कौआ , नंगा व्यक्ति , कुत्ते का काटना , घोडे की पीठ या छत से गिरना , झाडू देना , जेब कटना , सूर्य डूबना , महाना या तैरना , भाषण देना , दरवाजे पर ताला लगा आदि देखना अशुभ फलदायक होता है ।
(१८) स्वप्न में यदि भैस या कोई अन्य हिंसक जीव पीछा करता दिखे तो , खतरा सामने है। यदि सांप दिखे तो संकट लेकिन यदि काट ले , तो ,खूब सारी धन की प्राप्ति होती है ।
(१९) स्वप्न में यदि कुत्ता काटे या आप ऊंचाई से गिर रहे हो तो मानहानि या किसी अन्य रुप में कष्ट संभव हैं ।
(२०) आप यदि शादीशुदा एक महिला है और स्वप्न में आपने अपने पति को काला चश्मा लगाते हुये देख रही है और उनके साथ कोई काला पशु भी है तो समझ लीजिए कि आपके पति का किसी दूसरी स्त्री के साथ संबंध चल रहा है |
(२१) आप एक युवा स्त्री है और रात को स्वप्न में आप किसी खूबसूरत और भोगविलास की सुख सुविधाओं से संपन्न बैडरूम में आराम फरमा रही है तो यह स्वप्न आपके लिए शुभ नहीं है इसका मतलब यह है कि भविष्य में आपके किसी पुरुष के साथ संबंध बनने वाले है जिसके कारण आपकी इज्जत और मान सम्मान की हानि होने की संभावना रहेगी |




"देव द्विज श्रेष्ठ वीर गुरू वृहद तपस्विन:। यद्वदन्ति नरं स्वप्ने सत्य मेविति तद्विदु।"


यदि सपने में वेद अघ्ययन देखा तो श्रेष्ठ है। देव, ब्राह्मन, श्रेष्ठ वीर, गुरू, वृहद तपस्वी जो कुछ आपको स्वप्न में कहें उसे सत्य मानें ।


सूर्योदय से कुछ पहले अर्थात ब्रह्म मुहूर्त में देखे गए सपने का फल दस दिनों में सामने आ जाता है। रात के पहले पहर में देखे गए सपने का फल एक साल बाद, दूसरे पहर में देखे सपने का फल छह महीने बाद, तीसरे पहर में देखे सपने का फल तीन महीने बाद और आखिरी पहर के सपने का फल एक महीने में सामने आता है ।
स्वप्न के सन्दर्भ में स्वप्न ज्योतिष के अनुसार स्वप्न चार प्रकार के होते हैं:--
पहला दैविक,
दूसरा शुभ,
तीसरा अशुभ
चौथा मिश्रित |
दैविक व शुभस्वप्न कार्य सिद्ध की सूचना देते हैं। अशुभ स्वप्न कार्य असिद्धि की सूचना देते हैं तथा मिश्रित स्वप्न मिश्रित फलदायक होते हैं। यदि पहले अशुभ स्वप्न दिखे और बाद में शुभ स्वप्न दिखे तो शुभस्वप्न के फल को ही पाता है। अगर आपको लगातार बुरे सपने आते हों तो उसके अशुभ फल से बचने के लिए यह उपाय आपके लिए लाभदायक हो सकते हैं-


(१)- बुरे स्वप्न को देखकर यदि व्यक्ति उठकर पुन: सो जाए अथवा रात्रि में ही किसी से कह दे तो बुरे स्वप्न का फल नष्ट हो जाता है।
(२)- सुबह उठकर भगवान शंकर को नमस्कार कर स्वप्न फल नष्ट करने के लिए प्रार्थना कर तुलसी के पौधे को जल देकर उसके सामनेस्वप्न कह दें। इससे भी बुरे सपनों का फल नष्ट हो जाता है।
(३)- अपने गुरु का स्मरण करने से भी बुरे स्वप्नों के फलों का नाश हो जाता है।
(४)- धर्म शास्त्रों के अनुसार रात में सोते समय अपने आराध्य का स्मरण करने से भी बुरे सपने नहीं आते ।
(५)-चिकित्सा-विज्ञान और जीव-विज्ञान के अनुसार दु:स्वप्न या मृत प्राणियों को सपने में देखना कोई नई बात नहीं है।
(६)-आयुर्वेद में इसकी विस्तार से चर्चा है। वात असंतुलन को इसका कारण माना गया है और वात को संतुलित करने वाली जीवन शैली कोअपनाना इसका इलाज माना गया है।
(७)-योगशास्त्र के अनुसार प्राणायाम, सम्मोहन, काउंसलिंग, ध्यान, योग, जलनेति और नियमित रूप से कसरत वगैरह से दु:स्वप्न के शिकार लोगों को काफी मदद मिलती है।
हनुमान चालीसा में एक दोहा है: भूत पिशाच निकट नहीं आवे...। मिथकीय संदर्भ में देखें तो हनुमान को ऐसे रूप में दर्शाया गया है जिसे प्राणायाम और उससे जुड़ी दूसरी सिद्धियों पर अधिकार प्राप्त है। दोहे का मूल अर्थ यह है कि प्राणायाम आदि से खुद को जोड़ कर इन व्याधियों से मुक्ति पाई जा सकती है।


'जय हिंद,जय हिंदी'