Wednesday, July 20, 2016

WHATS APP COLLECTION -

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Must Read* 
*☘17 points that you must  always keep in your mind☘*

*👉1) जो आपसे दिल से बात करता है उसे कभी दिमाग से जवाब मत देना।*
*👉2) एक साल मे 50 मित्र बनाना आम बात है 50 साल तक एक मित्र से मित्रता निभाना खास बात है।*
*👉3) एक वक्त था जब हम सोचते थे कि  हमारा भी वक्त आएगा और एक ये वक्त है कि हम सोचते है कि हम सोचते है कि वो भी क्या वक्त था।*
*👉4) एक मिनट मे जिन्दगी नही बदलती पर एक मिनट सोच कर लिखा फैसला पूरी जिन्दगी बदल देता है।*
*👉5) आप जीवन मे कितने भी ऊॅचे क्यो न उठ जाए पर अपनी गरीबी और कठिनाई को कभी मत भूलिए।*
*👉6) वाणी मे भी अजीब शक्ति होती है  कङवा बोलने वाले का शहद भी नही बिकता और मीठा बोलने वाले की मिर्ची भी बिक जाती है।*
*👉7) जीवन मे सबसे बङी खुशी उस काम को करने मे है जिसे लोग कहते है कि तुम नही कर सकते हो।*
*👉8) इसांन एक दुकान है और जुबान उसका ताला।* *ताला खुलता है, तभी मालूम होता है कि*
*दुकान सोने की है या कोयले की।*
*👉9) कामयाब होने के लिए जिन्दगी मे कुछ ऐसा काम करो कि लोग आपका नाम Face book पे नही Google पे सर्च करे।*
*👉10) दुनिया विरोध करे तुम ङरो मत क्योकि जिस पेङ पर फल लगते है दुनिया उसे ही पत्थर मारती है।*
*👉11) जीत और हार आपकी सोच पर ही निर्भर है मान लो तो हार होगी और ठान लो तो जीत होगी।*
*👉12) दुनिया की सबसे सस्ती चीज है सलाह एक से मांगो हजारो से मिलती है सहयोग हजारो से मांगो एक से मिलता है।*
*👉13) मैने धन से कहा कि तुम एक कागज के टुकङे हो धन मुस्कराया और बोला बिल्कुल मै एक कागज का टुकङा हूॅ लेकिन मैने आज तक जिन्दगी मे कूङेदान का मुहॅ नही देखा।*
*👉14) आंधियो ने लाख बढाया हौसला धूल का, दो बूंद बारिश ने औकात बता दी!*
*👉15) जब एक रोटी के चार टुकङे हो और खाने वाले पांच हो तब मुझे भूख नही है ऐसा कहने वाला कौन है सिर्फ "माँ"*
*👉16) जब लोग आपकी नकल करने लगे तो समझ लेना चाहिए कि आप जीवन मे सफल हो रहे है।*
*👉17) मत फेंक पत्थर पानी मे उसे भी कोई पीता है। मत रहो यू उदास जिन्दगी मे तुम्हे देखकर भी कोई जीता है*।


*Some Positive Thoughts*.
*Must Read*
✍🏻 *सुनने* की आदत डालो क्योंकि ताने मारने वालों की कमी नहीं हैं।
✍🏻 *मुस्कराने* की आदत डालो क्योंकि रुलाने वालों की कमी नहीं हैं
✍🏻 *ऊपर उठने* की आदत डालो क्योंकि टांग खींचने वालों की कमी नहीं है।
✍🏻 *प्रोत्साहित* करने की आदत डालो क्योंकि हतोत्साहित करने वालों की कमी नहीं है!!
✍🏻 *सच्चा व्यक्ति* ना तो नास्तिक होता है ना ही आस्तिक होता है ।
सच्चा व्यक्ति हर समय वास्तविक होता है....✍🏻 *छोटी छोटी बातें दिल* में रखने से
बड़े बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते हैं"✍🏻 *कभी पीठ पीछे आपकी बात चले*
तो घबराना मत ... बात तो "उन्हीं की होती है"..जिनमें कोई " बात " होती है
✍🏻 *"निंदा"* उसी की होती है जो"जिंदा" हैँ मरने के बाद तो सिर्फ "तारीफ" होती है।
*Be Positive..*✍✍


सुंदरकाणड  सें  जुङी  5  अहम  बातें  जो  कोई  नहीं  जानता !
1 :-  सुंदरकाणड  का  नाम सुंदरकाणड  क्यों  रखा गया ?
हनुमानजी,  सीताजी 
की  खोज  में  लंका  गए  थें  और  लंका  त्रिकुटाचल  पर्वत  पर  बसी  हुई  थी ! त्रिकुटाचल  पर्वत  यानी  यहां  3 पर्वत  थें ! पहला  सुबैल पर्वत, जहां  कें  मैदान  में  युद्ध  हुआ  था !
दुसरा नील  पर्वत, जहां  राक्षसों  कें  महल  बसें  हुए  थें ! और  तीसरे पर्वत  का  नाम  है  सुंदर  पर्वत, जहां  अशोक  वाटिका  नीर्मित थी !  इसी  वाटिका  में  हनुमानजी  और  सीताजी  की  भेंट  हुई  थी !
इस  काण्ड  की  यहीं  सबसें  प्रमुख  घटना  थी , इसलिए  इसका  नाम  सुंदरकाणड  रखा  गया  है !
2 :-  शुभ  अवसरों  पर  ही  सुंदरकाणड  का  पाठ  क्यों ?
शुभ  अवसरों  पर  गोस्वामी  तुलसीदासजी  द्वारा  रचित  श्रीरामचरितमानस  कें  सुंदरकाणड  का  पाठ  किया  जाता  हैं !  शुभ  कार्यों  की  शुरूआत  सें  पहलें  सुंदरकाणड  का  पाठ  करनें  का  विशेष  महत्व   माना  गया  है !
जबकि  किसी  व्यक्ति  कें  जीवन  में ज्यादा  परेशानीयाँ  हो , कोई  काम  नहीं  बन  पा  रहा  हैं,  आत्मविश्वास  की  कमी  हो  या  कोई  और  समस्या  हो , सुंदरकाणड  कें  पाठ  सें  शुभ  फल  प्राप्त  होने  लग जाते  है, कई  ज्योतिषी  या  संत  भी  विपरित  परिस्थितियों  में  सुंदरकाणड  करनें  की  सलाह  देते  हैं !
3 :-  जानिए  सुंदरकाणड  का  पाठ  विषेश  रूप  सें  क्यों  किया  जाता  हैं ?
माना  जाता  हैं  कि  सुंदरकाणड  कें  पाठ  सें  हनुमानजी  प्रशन्न होतें  है !
सुंदरकाणड  कें  पाठ  में  बजरंगबली  की  कृपा  बहुत  ही  जल्द  प्राप्त हो  जाती  हैं !
जो  लोग  नियमित  रूप  सें  सुंदरकाणड  का  पाठ  करतें  हैं ,  उनके  सभी  दुख  दुर  हो  जातें हैं , इस  काण्ड  में  हनुमानजी  नें  अपनी  बुद्धि  और  बल  सें  सीता  की  खोज  की  हैं !
इसी  वजह  सें  सुंदरकाणड  को  हनुमानजी  की  सफलता  के  लिए  याद  किया  जाता  हैं !
4 :-  सुंदरकाणड  सें  मिलता  हैं  मनोवैज्ञानिक  लाभ ?
वास्तव  में  श्रीरामचरितमानस  कें  सुंदरकाणड  की  कथा  सबसे  अलग  हैं , संपूर्ण  श्रीरामचरितमानस  भगवान  श्रीराम  कें  गुणों  और  उनके   पुरूषार्थ  को  दर्शाती  हैं , सुंदरकाणड  ऐक मात्र  ऐसा  अध्याय  हैं  जो  श्रीराम  कें  भक्त  हनुमान  की  विजय  का  काण्ड  हैं !
मनोवैज्ञानिक  नजरिए  सें  देखा  जाए  तो  यह  आत्मविश्वास  और  इच्छाशक्ति   बढ़ाने  वाला  काण्ड  हैं , सुंदरकाणड  कें  पाठ  सें  व्यक्ति  को  मानसिक  शक्ति  प्राप्त  होती  हैं , किसी  भी  कार्य  को  पुर्ण  करनें  कें  लिए  आत्मविश्वास  मिलता  हैं !
5 :- सुंदरकाणड  सें  मिलता  है  धार्मिक  लाभ  ?
सुंदरकाणड  कें  लाम  सें  मिलता  हैं  धार्मिक  लाभ  हनुमानजी  की  पूजा  सभी  मनोकामनाओं  को  पुर्ण  करनें  वालीं  मानी  गई  हैं ,  बजरंगबली बहुत  जल्दी  प्रशन्न  होने  वालें  देवता  हैं , शास्त्रों  में  इनकी कृपा  पाने  के  कई  उपाय  बताएं  गए  हैं ,  इन्हीं  उपायों  में  सें  ऐक  उपाय  सुंदरकाणड  का  पाठ  करना  हैं , सुंदरकाणड  कें  पाठ  सें  हनुमानजी  कें  साथ  ही  श्रीराम  की  भी  विषेश  कृपा  प्राप्त  होती  हैं !
किसी  भी  प्रकार  की  परेशानी  हो  सुंदरकाणड  कें  पाठ  सें  दुर  हो  जाती  हैं , यह  ऐक  श्रेष्ठ  और  सरल  उपाय  है ,  इसी  वजह  सें  काफी  लोग  सुंदरकाणड  का  पाठ  नियमित  रूप  सें  करते  हैं , हनुमानजी  जो  कि  वानर  थें , वे  समुद्र  को  लांघकर  लंका  पहुंच  गए  वहां  सीता  की  खोज  की , लंका  को  जलाया  सीता  का  संदेश  लेकर  श्रीराम  के  पास  लौट  आए ,  यह  ऐक  भक्त   की  जीत  का  काण्ड  हैं ,  जो अपनी  इच्छाशक्ति  के  बल  पर  इतना  बड़ा  चमत्कार  कर  सकता  है , सुंदरकाणड  में  जीवन  की सफलता  के  महत्वपूर्ण  सूत्र   भी  दिए  गए  हैं  ,  इसलिए  पुरी  रामायण  में  सुंदरकाणड  को  सबसें  श्रेष्ठ  माना  जाता  हैं , क्योंकि  यह  व्यक्ति  में  आत्मविश्वास  बढ़ाता  हैं ,  इसी  वजह  सें सुंदरकाणड  का  पाठ  विषेश  रूप  सें  किया  जाता  हैं  !!



ज्योतिष का अच्छा ज्ञान हो तो आदमी अपनी कुंडली के आधार पर अपने पिछले तथा अगले जन्मों के बारे में भी जान सकता है। हालांकि यह पद्धति थोड़ी जटिल दिखाई देती है परन्तु करने में बहुत सरल है। यह पद्धति केवल योगियों तथा साधुओं को ही ज्ञात है और उन्हीं के माध्यम से ज्योतिषीयों तक पहुंचती है।

ऐसे जाने पिछले जन्म के बारे में

पिछले जन्म के लिए जन्मकुंडली से नेगेटिव कुंडली बनानी होती है जबकि अगले जन्म के लिए पॉजिटिव। अर्थात् पिछले जन्म की कुंडली बनाने के लिए वर्तमान जन्मकुंडली के लग्न में मौजूद ग्रह, राशि को 12 वें में रखा जाता है, दूसरे खाने को 11वे, तीसरे खाने को 10वे, चौथे खाने को 9वे, पांचवे को 8वे, छठे को 7वे, सातवे को 6ठे, आठवे को 5वे, नौवे को चौथे, दसवें को तीसरे, 11वे को दूसरे तथा 12वे घर को लग्न में बदल दिया जाता है। इसी तरीके से नवमांश कुंडली को भी बदल दिया जाता है। अब आपके पास पिछले जन्म की होरोस्कॉप बन जाती है जिससे आप अपने पिछले जीवन के बारे में सब कुछ जान सकते हैं।

ऐसे जानें अगले जन्म के बारे में

अगले जन्म के बारे में जानने के लिए पिछले जन्म के उलट पॉजिटीव कुंडली बनानी होती है। इसके लिए 12वें खाने की राशि तथा ग्रहों को लग्न स्थान पर 11वें खाने को दूसरे, 10वे को तीसरे, 9वे को चौथे, 8वे को पांचवे, 7वे को छठे, छठे को सातवे, 5वे को आठवे, चौथे को नवे, तीसरे को दसवे, दूसरे को 11वे तथा लग्न स्थान को 12वे स्थान पर रखना होता है। ठीक इसी तरह नवमांश कुंडली को भी बदल लिया जाता है। अब इन दोनों कुंडलियों के आधार पर आपको अपने अगले जन्म में क्या मिलने वाला है, आसानी से जान सकते हैं।

पाप कहाँ कहा तक जाता है ?
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एक बार एक ऋषि ने सोचा कि लोग गंगा में पाप धोने जाते है, तो इसका मतलब हुआ कि सारे पाप गंगा में समा गए और गंगा भी पापी हो गयी !
अब यह जानने के लिए तपस्या की, कि पाप कहाँ जाता है ?
तपस्या करने के फलस्वरूप देवता प्रकट हुए , ऋषि ने पूछा कि
भगवन जो पाप गंगा में धोया जाता है वह पाप कहाँ जाता है ?
भगवन ने जहा कि चलो गंगा से ही पूछते है, दोनों लोग गंगा के पास गए और कहा कि "हे गंगे ! जो लोग तुम्हारे यहाँ पाप धोते है तो इसका मतलब आप भी पापी हुई !"
गंगा ने कहा "मैं क्यों पापी हुई, मैं तो सारे पापों को ले जाकर समुद्र को अर्पित कर देती हूँ !"
अब वे लोग समुद्र के पास गए, "हे सागर ! गंगा जो पाप आपको अर्पित कर देती है तो इसका मतलब आप भी पापी हुए !" 

समुद्र ने कहा "मैं क्यों पापी हुआ, मैं तो सारे पापों को लेकर भाप बना कर बादल बना देता हूँ !"
अब वे लोग बादल के पास गए और कहा "हे बादलो ! समुद्र जो पापों को भाप बनाकर बादल बना देते है,
तो इसका मतलब आप पापी हुए !"
बादलों ने कहा "मैं क्यों पापी हुआ,
मैं तो सारे पापों को वापस पानी बरसा कर धरती पर भेज देता हूँ , जिससे अन्न उपजता है, जिसको मानव खाता है, उस अन्न में जो अन्न जिस मानसिक स्थिति से उगाया जाता है और जिस वृत्ति से प्राप्त किया जाता है, जिस मानसिक अवस्था में खाया जाता है ,
उसी अनुसार मानव की मानसिकता बनती है !"

शायद इसीलिये कहते हैं ..”जैसा खाए अन्न, वैसा बनता मन”

अन्न को जिस वृत्ति ( कमाई ) से प्राप्त किया जाता है और जिस मानसिक अवस्था में खाया जाता है, वैसे ही विचार मानव के बन जाते है !

इसीलिये सदैव भोजन सिमरन और शांत अवस्था मे करना चाहिए और कम से कम अन्न जिस धन से
खरीदा जाए वह धन ईमानदारी एवं श्रम का होना चाहिए !

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ASTROLOGER ASHUTOSH

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